6g Internet in India : भारत में 6G इंटरनेट के लिए प्रयास तेज़ी से शुरू हो गए हैं। सरकार ने 6G नेटवर्क के विकास के लिए अपनी योजना को और अधिक मजबूत किया है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत सरकार 6G के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इसके लिए नई तकनीकों पर काम किया जा रहा है। एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, सरकार एक ऐसा मल्टी-पोर्ट स्विच सिंगल ब्रॉडबैंड अंटेना बना रही है, जो 2G, 3G, 4G और 5G सभी नेटवर्क बैंड्स को एक साथ सपोर्ट करेगा।
इसका मतलब है कि इस अंटेना के जरिए सभी नेटवर्क बैंड्स को एक साथ संचालित किया जा सकेगा, जबकि अब तक इन बैंड्स के लिए अलग-अलग अंटेना की आवश्यकता होती थी।इस मल्टी-पोर्ट स्विच सिंगल ब्रॉडबैंड तकनीकी पहल का उद्देश्य है कि एक ही अंटेना से विभिन्न नेटवर्क बैंड्स को आसानी से मैनेज किया जा सके। वर्तमान में, भारत में अलग-अलग नेटवर्क बैंड्स के लिए अलग-अलग अंटेना इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इस नई तकनीक से नेटवर्क ऑपरेटरों को बैंड्स को एक साथ मैनेज करने में आसानी होगी, और यह तकनीकी दृष्टिकोण भी अधिक प्रभावी होगा।
भारत सरकार ने इस परियोजना पर काम करने के लिए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR) और दूरसंचार विभाग (DoT) के तहत स्थित सेंटर फॉर डेवेलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स (C-DOT) के साथ मिलकर काम करना शुरू किया है। इन संस्थाओं के संयुक्त प्रयास से यह मल्टी-पोर्ट स्विच आधारित सिंगल अंटेना विकसित किया जा रहा है। यह नया अंटेना न केवल सभी बैंड्स को एक साथ कवर करेगा, बल्कि इसे अत्याधुनिक माइक्रो-इलेक्ट्रोमेकैनिकल सिस्टम (MEMS) तकनीक पर आधारित किया जा रहा है, जिससे इसकी कार्यक्षमता और प्रदर्शन बेहतर होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस 6G परियोजना को लेकर अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट कर दी हैं। उनका मानना है कि भारत को 2030 तक 6G तकनीकी क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनना चाहिए। उन्होंने 6G के विकास को भारत के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इसके शोध और विकास में तेजी से निवेश करने की बात की है। उनका कहना है कि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, और इस दिशा में तेज़ी से काम करना चाहिए।भारत ने 6G के पेटेंट फाइलिंग में भी अग्रणी स्थान प्राप्त किया है।
देश में 5G तकनीक को बहुत तेजी से लागू किया गया था और अब 6G पर भी तेजी से शोध और विकास हो रहा है। सरकारी पैनल के अनुसार, अगले तीन सालों में भारत 6G पेटेंट्स का 10% हिस्सा हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इससे भारत को 6G के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने का मौका मिलेगा और देश की तकनीकी स्थिति को मजबूत किया जा सकेगा।भारत सरकार ने दूरसंचार विभाग के माध्यम से 6G के लिए दो नेक्स्ट जनरेशन टेस्टबेड के लिए वित्तीय सहायता देने की भी घोषणा की है।
इसके अलावा, 6G से जुड़े 470 प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है, जो इस क्षेत्र में भारत की क्षमता और वैज्ञानिक शोध को और मजबूत करेंगे। इन प्रयासों के तहत, भारत 6G के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी स्थिति को वैश्विक स्तर पर सशक्त बना रहा है।आने वाले समय में, भारत के इन प्रयासों का असर न केवल देश में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी दिखाई देगा। भारत की तकनीकी उपलब्धियां और शोध कार्य 6G नेटवर्क के क्षेत्र में देश को एक प्रमुख ताकत बना सकते हैं।
इसके साथ ही, भारत में टेलीकॉम और इंटरनेट सेवाओं के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं, जो न केवल भारत के नागरिकों के लिए, बल्कि समग्र वैश्विक तकनीकी विकास के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होंगे।प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि भारत को 6G क्षेत्र में 2030 तक एक बड़ी ताकत बनना चाहिए। यह भारत के लिए एक स्पष्ट और दूरदर्शी दृष्टिकोण है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने कई नई तकनीकों पर काम करना शुरू कर दिया है और इसके लिए बुनियादी ढांचा भी तैयार किया जा रहा है।
6G नेटवर्क के विकास से भारत न केवल तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वह भविष्य में इंटरनेट की गति, कनेक्टिविटी और सेवाओं में भी सुधार लाने में सक्षम होगा।भारत सरकार के इन कदमों से 6G के क्षेत्र में विकास की गति तेज़ हो सकती है। इसके साथ ही, भारत दुनिया भर में 6G के क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेगा। यदि भारत 6G के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है, तो यह देश के डिजिटल क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और देश को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा।
इस प्रकार, भारत का 6G विजन न केवल एक तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की समग्र डिजिटल अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उसकी स्थिति को भी मजबूत करेगा। 6G के जरिए भारत की इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं में बड़े बदलाव आ सकते हैं, और यह देश को डिजिटल परिवर्तन में एक नया मुकाम हासिल करने में मदद करेगा।
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